🪷 गुर्दे की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज – गुर्दे की पथरी, जिसे आयुर्वेद में अश्मरी कहा गया है, मूत्रवह संस्थान का एक प्रमुख विकार है। यह वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन से उत्पन्न होता है। विशेषतः वात और कफ के संयोग से मूत्रमार्ग में कठोर कणों का निर्माण होता है, जो समय के साथ पथरी का रूप ले लेते हैं।

🔍 लक्षण जो पहचान में मदद करें
- पीठ या पेट के निचले हिस्से में तीव्र दर्द
- पेशाब में जलन या रुकावट
- मूत्र में रक्त या दुर्गंध
- मतली, उल्टी या बेचैनी
- बार-बार पेशाब की इच्छा लेकिन मात्रा कम
🌿 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: अश्मरी का कारण और समाधान
आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और भावप्रकाश में अश्मरी के लिए विशिष्ट औषधियों और पंचकर्म विधियों का उल्लेख है। आयुर्वेद केवल लक्षणों को दबाने का नहीं, बल्कि शरीर के दोषों को संतुलित करने का विज्ञान है।
प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ:
- पाषाणभेद – पथरी को विघटित करने वाली प्रसिद्ध औषधि
- गोक्षुर – मूत्रवर्धक और सूजननाशक
- वरुण – मूत्राशय की दीवारों को मजबूत करता है
- कुल्थी दाल – पथरी को गलाने में सहायक
- बस्ती कर्म – औषधीय एनिमा द्वारा मूत्रवह संस्थान की शुद्धि
🏠 20 असरदार घरेलू आयुर्वेदिक उपाय
यहाँ दिए गए उपाय घर पर आसानी से किए जा सकते हैं और आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित हैं:
- कुल्थी दाल का पानी – रातभर भिगोकर सुबह उबालें, छानकर खाली पेट पीएं
- नारियल पानी – दिन में 1–2 बार ताज़ा नारियल पानी लें
- नींबू पानी – 1 नींबू + गुनगुना पानी, सुबह खाली पेट
- बेल का शरबत – बेल फल मथकर पानी में मिलाएं, छानें
- अजवाइन + शहद – 1 चम्मच अजवाइन पाउडर + 1 चम्मच शहद, दिन में दो बार
- धनिया पानी – रातभर भिगोएं, सुबह छानकर पीएं
- गिलोय का काढ़ा – गिलोय डंडी उबालें, आधा रह जाए तो पीएं
- पालक का रस – सीमित मात्रा में सप्ताह में 2–3 बार
- पाषाणभेद जड़ का काढ़ा – 5 ग्राम जड़ उबालें, छानकर पीएं
- गोक्षुर चूर्ण + शहद – 1 चम्मच चूर्ण + शहद, सुबह-शाम
- ककड़ी और तरबूज – ताज़ा फल या रस के रूप में सेवन
- भिंडी – उबली या सब्ज़ी के रूप में
- अलसी का पानी – उबालकर छानें, दिन में एक बार
- सौंफ का पानी – रातभर भिगोएं, सुबह छानकर पीएं
- हल्दी + दूध – रात को सोने से पहले
- अश्वगंधा चूर्ण – गुनगुने जल के साथ सुबह
- तुलसी + शहद – 5 पत्ते पीसकर + 1 चम्मच शहद
- अदरक + नींबू रस – 1 चम्मच अदरक + 1 चम्मच नींबू
- छाछ + जीरा पाउडर – भोजन के बाद
- गाजर + खीरे का रस – सुबह खाली पेट
🧘 जीवनशैली और योग से सहयोग
- दिन में 3–4 लीटर गुनगुना पानी पीना
- योगासन: पवनमुक्तासन, भुजंगासन, उष्ट्रासन
- प्राणायाम: अनुलोम-विलोम, कपालभाति
- तले, खट्टे, नमकयुक्त पदार्थों से परहेज़
📜 आयुर्वेदिक श्लोक संदर्भ
“पाषाणभेदोऽश्मरीघ्नः शीतलः कफवातनुत्।
मूत्रकृच्छ्रहरो हृद्यः पित्तशोथविनाशनः॥”
(भावप्रकाश निघंटु, पाषाणभेद वर्णन)
इसके सटीक उपचार के लिए आप तुरंत परामर्श ले सकते हैं

